पूज्य जगद्गुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने  श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज को दी “धर्मरत्न” की उपाधि।

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वृन्दावंन :-

अनन्त श्री विभूषित ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्धारकाशारदापीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने आज पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज की “धर्म रत्न” की उपाधि से अलंकृत किया। पूज्य महाराज श्री को यह उपाधि भागवत कथाओं के माध्यम से सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए दी गई है। यह पहली बार है कि पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज ने किसी को “धर्म रत्न” की उपाधि से अलंकृत किया हो।
पूज्य ठाकुर जी महाराज ने इस उपाधि से अलंकृत करने के लिए पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज का आभार प्रकट किया। आज से ठाकुर जी महाराज का पूरा नाम “धर्मरत्न शांतिदूत श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज” लिखा जाएगा।

ज्योतिष्पीठ द्वारिकाशारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का 31 किलो के पुष्पमाल से अभिनंदन किया गया। आयोजन के मध्य विभिन्न वक्ताओं ने युवापीढ़ी को सनातन धर्म से भटकाने वाले कारकों पर चिंता व्यक्त की, वहीं जगद्गुरू शंकराचार्य जी महाराज ने धर्म के वास्तविक स्वरूप और वर्तमान परिस्थितियों पर श्रोताओं का मार्गदर्शन किया।

पूज्य जगद्गुरू शकंराचार्य जी महाराज ने रामायण और महाभारत को शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता बतायी। उन्होने कहा कि अगर आधुनिक शिक्षा के साथ पौराणिक कथायें भी बतायी जाये तो उनसे युवाओं को ज्ञात होगा कि बुरे कर्म का फल बुरा ही मिलेगा। रामायण शिक्षा देती है कि परनारि पर दृष्टि डालने वाले का अंत में क्या हाल होता है। दुर्गासप्तशती का अध्ययन होगा तो हर छोटी बालिका में देवी नजर आयेगी। कथाकारों एवं धर्मप्रचारकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि वे वक्ता राधा-कृष्ण के गीतों के साथ मनुष्य को पापकर्मों के बाद में मिलने वाले नरकों का वर्णन भी सुनायें।

पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि केवल हिन्दुस्तान में पैदा होने से ही कोई हिन्दु नहीं होता। हमें कल्चर से नहीं बल्कि धर्म से हिन्दु होना चाहिये। जो वेदशास्त्रों को ना माने वह हिन्दु नहीं है। उन्होने कहा कि हमसे कहा जाता है कि हम हिन्दु समाज में वर्ण और आश्रम की व्यवस्था को समाप्त करने का आदेश पारित कर दें। क्योंकि जातियों के आधार पर हिन्दु टूट रहा है। ऐसा नहीं किया जा सकता है। वर्ण आश्रम हमारी परम्पराओं में है। मुगलों के समय अगर जातियां ना होती तो पूरा हिन्दु समाज आज मुसलमान बन गया होता। उस समय मुसलमानों के अत्याचारों के सामने जो जातियाँ टूट गयीं केवल वही मुसलमान बनी। जो बची रहीं वह आज भी हिन्दु हैं।

इससे पूर्व श्री गोविन्दानंद तीर्थ जी महाराज ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी बहुत ईमानदार और जागरूक है। वह अपनी शंकाओं का समाधान चाहती है। ज्ञान एवं तर्कों के द्वारा उन्हें संतुष्ट कर धर्मालम्बी बनाया रखा जा सकता है। श्री ब्रहमचारी सुबोध नारायण जी महाराज, श्री अमृतानंद सरस्वती जी महाराज, श्री ब्रहमविद्यानंद जी महाराज आदि संतगण के साथ रामकृपाल त्रिपाठी जी, सच्चिदानंद द्विवेदी जी, नेत्रपाल शास्त्री जी, महामण्डलेश्वर भास्करानंद जी, बाल योगेश्वरानंद गिरी जी, महन्त सच्चिदानंद शास्त्री जी, पं. अशोक शास्त्री जी, मृदुल कान्त शास्त्री जी, बिहारीलाल वशिष्ठ जी, अनिल शर्मा जी (यमुना मिशन) रवि रावत जी, एच.पी. अग्रवाल जी, अशोक गुप्ता जी, श्यामसुन्दर शर्मा जी, जगदीश वर्मा जी, मुकुन्द उपाध्याय जी, विष्णु शर्मा जी, दिनेश सिंह जी आदि उपस्थित थे।

विश्व शांति सेवा चैरीटेबल ट्रस्ट की ओर पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज को अभिनंदन पत्र प्रदान किया गया। ट्रस्ट सचिव श्री विजय शर्मा जी ने आभार व्यक्त किया। मंच संचालन आचार्य श्री बद्रीश जी महाराज ने किया।