अपराध धार्मिक शिक्षा से ही रुकेंगे, कानून से नहीं -: शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज

0
1273

कवर्धा ( छत्तीसगढ़ )-

पूज्य शङ्कराचार्य जी महाराज ने कवर्धा की जनता को दिया धर्मसन्देश।

कवर्धा, छत्तीसगढ़ में विराजमान ,अनन्तश्रीविभूषित उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं पश्चिमाम्नाय द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज नकल दिनाँक 13 -3-18 को पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासियों की समस्या है गरीबी। उनका धर्म हिन्दू है। मुसलमान धर्म को मजहब कहते हैं, ईसाई रिलीजन कहते हैं किंतु आदिवासी धर्म को धर्म कहते हैं। वस्तुतः आदिवासी नाम अंग्रेजों का दिया हुआ है। उनमें जाति व्यवस्था है, वे सगोत्र विवाह नहीं करते। ये सब लक्षण हिन्दू होने के हैं।

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म का कोई व्यक्ति प्रवर्तक नहीं। मुहम्मद के पिता मुसलमान नहीं थे, ईसा के पिता ईसाई नहीं थे, किन्तु राम कृष्ण वेदव्यास इत्यादि के पिता भी हिन्दू थे। राम से पहले भी राम थे।

महाराजश्री ने कहा कि शिवराज सिंह पहले गोविंदनाथवन को आदि शङ्कराचार्य की दीक्षा स्थली मां चुके हैं, वहाँ आ भी चुके हैं।

शङ्कराचार्य जी रामजन्म भूमि के सम्बन्ध में बोले कि – कोई ठीक पक्ष रख ही नहीं रहा, सब भ्रमित कर रहे हैं। उनकी मंदिर बनाने की नीयत ही नहीं। उनकी नीयत हिन्दू मुसलमानों को लड़ाने की है। वहां बाबर या मीर बाकी के आने का कोई प्रमाण नहीं। वहां मस्जिद का भी कोई लक्षण नहीं। कार सेवकों ने मंदिर ही तोड़ा, मस्जिद तो थी ही नहीं। मन्दिर मस्जिद पास पास बन ही नहीं सकते, मुसलमान खुद नहीं बनाएंगे क्योंकि वे घंटे घड़ियाल की आवाज को शैतान की आवाज मानते हैं।उन्होंने कहा हमें वही जन्मभूमि चाहिए जहां राम का जन्म हुआ। रामालय ट्रस्ट ही मंदिर बनाएगा। कोई पार्टी या सरकार मन्दिर बना ही नहीं सकती क्योंकि संविधान के अनुसार धर्मनिरपेक्ष रहना उसकी बाध्यता है।

गंगा के सम्बन्ध में महाराजश्री ने कहा कि गंगाको हमने राष्ट्रनदी घोषित कराया। केंद्र सरकार मन्दिर, गाय, गंगा के नज़्म पर वित्त मांगकर सत्ता में आयी किन्तु सबको बोल गयी। न गंगा अविरल हुई न गोमांस का निर्यात रुका ।

शिक्षा व्यवस्था के सम्बन्ध में शङ्कराचार्य जी ने कहा कि जो मैकाले की शिक्षा अंग्रेजों के समय में पढ़ाई जाती थी वही अब भी जारी है। गीता रामायण महाभारत पढ़ाया जाना चाहिए। धर्म की शिक्षा दी जानी चाहिए। अपराध कानून से नहीं रुकेंगे, धार्मिक शिक्षा से रुकेंगे।

उन्होंने कहा मुसलमानों में तलाक पर रोक लगाने से बात नहीं बनेगी। बहुविवाह पर रोक लगे , तलाक पर स्वतः लग जायेगी।

पत्रकारों के एक प्रश्न के उत्तर में शङ्कराचार्य जी ने कहा कि देश को सबसे अधिक खतरा भ्रष्टाचार से है। यह भ्रष्टाचार कानून से नहीं अपितु धार्मिक शिक्षा से रुकेगा, विदुरनीति, शुक्रनीति की शिक्षा से रुकेगा।

पत्रकारवार्ता के आरंभ में पत्रकारों का स्वागत करते हुए शङ्कराचार्य जी के निज सचिव श्री सुबुद्धानन्द ब्रह्मचारी ने आदि शङ्कराचार्य की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनकी दीक्षास्थली गोविन्दनाथ वन में दीक्षा लेते हुए आदि शङ्कराचार्य का मंदिर बनवाने की सूचना दिया जिसके शिलान्यास हो चुका है । उन्होंने कहा कि शङ्कराचार्य जी ने 4.5 लाख आदिवासियों को दीक्षा देकर शङ्कराचार्य जी ने उनकी शुद्धि की और घरवापसी कराया। शङ्कराचार्य जी ने रामचरित मानस का मुण्डारी भाषा में अनुवाद कराया जिसका आदिवासी लोग प्रेमसे पाठ करते हैं।