मंदिर में स्थापित मूर्ति जीवित(न्यायिक )व्यक्ति है और उसके भोजन,पानी को बंद नहीं किया जा सकता  :- स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी ने की प्रेसवार्ता 

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देवविग्रहों को सामने लाये प्रशासन नहीं तो दायर की जाएगी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचीका :- स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी

 

 

मंदिर बचाओ आंदोलन की अगुआई कर रहे द्वारका शारदा पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी ने विश्वनाथ मंदिर प्रशासन द्वारा विगत दिनों में तोड़े गए मंदिरों में प्रतिष्टित देवविग्रहों को भक्तो के समक्ष उपस्थित करने का अनुरोध किया है. उन्होंने आगे कहा की पूजित मुर्तियो में देवताओ का वास है अंत उनके राग-भोग आदि की व्यस्था में व्यवधान नहीं होना चाहिए. अनेक दिनों से भक्त उनके दर्शन नहीं कर पा रहे है, जो लोग नियमित रूप से उनके दर्शन पूजा अर्चना करते थे वो लोग भी दर्शन पूजा अर्चना नहीं कर पा रहे है. इस संदर्भ में स्वामी जी ने आज एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया था जिसमे भ्रम का निराकरण करने के लिए जानकारी दी गई तोड़े हुवे मंदिरों के फोटो दिखाए गए और काशी विश्वनाथ मंदिर को एक कॉपी दी जाएगी ऐसा स्वामी जी ने कहा है,  उन्होंने आगे कहा की हमारे यहाँ (हेवियस कार्पस) मतलब जब कोई व्यक्ति पकड़ा जाता है और पुलिस उसके बारे में कुछ नहीं बताती है तो न्यायलय से कहा जाता है की आप उसको प्रत्यक्ष करिए – हमारे देवता भी एक व्यक्ति है और कानून की दृष्टी से और धर्म की दृष्टी से उनको व्यक्ति माना  गया है  ,

 

आज का कानून भी देवविग्रहों को मानता है जीवित (न्यायिक) व्यक्ति

 

 

 

वर्तमान भारत का संविधान /कानून धारा २५-२६ द्वारा हमें अपने शास्त्रों के अनुसार धर्म के पालन का अधिकार प्रदान करता है जो की हमारे मौलिक अधिकारों की श्रेणी में आता है. भारत की स्थापित विधि व्यवस्था के अनुसार प्राण प्रतिष्टित मूर्तियों को अर्पित किये जाने वाले उपचारों भोजन ,पानी ,स्नान ,विश्राम आदि को बंद नहीं किया जा सकता  और उन्हें उनके स्थान से हटाया भी नही जा सकता न ही उनके दर्शन पूजन आदि से उनके भक्तो को वंचित किया जा सकता है इस संदर्भा में स्वामी श्री ने

 

 

ए आई आर  १९२५ प्रिवी काउन्सिल १३९ (प्रमथनाथ मल्लिक बनाम प्रद्युम्न मल्लिक)

आई एल आर ३७ कलकत्ता १२८ ( भुपतिनाथ बनाम रामलाल मैत्रा )

ए आई आर  १९५४ सुप्रीम कोर्ट २८२ ( हिन्दू रिलीजियस एण्डउमेंट्स मद्रास बनाम लक्ष्मिन्द्रतिर्थ )  

ऐसे उदहारण उन्होंने इस बारे में दिए.

तोड़े गए मंदिरों का विवरण