गंगा की स्वच्छता के लिये आमरण अनशन कर रहे पर्यारणवादी स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद उर्फ जीडी अग्रवाल जी की मौत,

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गंगा की अविरलता और निर्मलता को बनाए रखने व गंगा पर निर्माणाधीन व प्रस्वावित बांधों को रद्द किए जाने संबंधी मांगों को लेकर अनशनरत स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद की एम्स ऋषिकेश में मौत हो गई। एम्स के जनसंपर्क अधिकारी एचण् थपलियाल ने सानंद की मौत की पुष्टि की है।

डाॅक्टरों ने स्वामी सानंद की मौत का कारण उनके शरीर में आई कमजोरी और हार्ट अटैक होने से बताया है। बीते दिन स्वामी सानंद को मातृ सदन जगजीतपुर से एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था। अनशन पर बैठे स्वामी सांनद ने मंगलवार को जल भी त्याग दिया था। पर्यावरणविद् प्रो0 जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद 22 जून से गंगा के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर अनशनरत थे। कल एसडीएम व सीओ सिटी की मौजूदगी में कनखल पुलिस ने जबरन स्वामी सानंद को उठाकर एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया था।

इससे पूर्व भी स्वामी सानंद को स्वास्थ्य में गिरावट के चलते एम्स में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। अनशन पर रहते केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने स्वयं मातृ सदन पहुंच कर व केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने प्रतिनिधि के माध्यम से स्वामी सानंद से अनशन खोले जाने का आग्रह किया था। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वामी सानंद ने गंगा संबंधी पत्र भेजे थे। मगर उन पर कोई जबाब सानंद को नहीं मिला था। गंगा संबंधी मांगों का पत्र की सुनवाई न होने पर बाद सानंद ने 22 जून से अनशन शुरू कर दिया था।
उत्तरखण्ड प्रदेश में 2011 में जिस दौरान मातृसदन के युवा संत स्वामी निगमानंद की 13 जून 2011 को मौत हुई उस दौरान भी प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए स्वामी निगमानंद ने 114 दिन पर अनशनरत रहते हुए प्राण त्याग दिए थे। और सानंद की मौत के समय भी केन्द्र व प्रदेश में संतों ,गाय, गंगा व धर्म की बात करने वाली भाजपा की सरकार का शासन हैं। बावजूद उसके बड़े-बड़े राजनेता हरिद्वार आऐ मगर हरिद्वार आकर भी सानंद से नहीं मिले। हां यह जरूर था कि इन राजनेताओं ने अन्य संतों के दर पर अपनी हाजिरी जरूर लगाई।

उधर मातृ सदन के संतों ने प्रशासन व पुलिस पर स्वामी सानंद की हत्या का आरोप लगाया हैं