156 घंटे की तपस्या के बाद स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी का अनशन समाप्त

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आज एक पत्रक लेकर काशी से आए हुए सन्तों एवं श्रद्धालुओं का दल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं शहरी विकास मंत्री श्री मदन कौशिक से मिला और पूर्णागिरी मंदिर सहित ज्योतिर्मठ के उस भवन दुर्व्यवस्था के सम्बन्ध में तथा स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी के अनशन-तपस्या से भी अवगत कराते हुए उसके समाधान का अनुरोध किया । प्रतिनिधि मंडल में स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती जी, साध्वी पूर्णाम्बा जी, साध्वी शारदाम्बा जी, ब्रह्मचारी पूर्णानन्द जी, अधिवक्ता रमेश उपाध्याय जी, श्रीमति सुशीला भण्डारी जी आदि उपस्थित रहीं ।
प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री एवं शहरी विकास मंत्री की प्रकरण के वैधानिक स्थिति सम्बन्धी सभी समस्याओं एवं पूर्वाग्रहों का निराकरण करते हुए स्पष्ट किया कि जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ही ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य हैं इस सम्बन्ध में इलाहाबाद सिविल कोर्ट एवं बोर्ड आफ रेवेन्यू उत्तराखंड के निर्णय उनके पक्ष में है जिसपर कोई स्टे नही है अतः दोनों निर्णय प्रभावी है और उसका अनुपालन करने से सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा । शहरी विकास मंत्री श्री मदन कौशिक ने तत्काल चमौली के जिलाधिकारी से आख्या मांगी जिसके बाद एस0डी0एम0 ने यह लिखित आश्वासन भेज दिया कि उक्त प्रकरण में स्थानीय प्रशासन ज्योतिर्मठ के सम्बन्ध में माननीय न्यायालयों के द्वारा दिए गए निर्णयों का सम्यक् अनुपालन सुनिश्चित करेगा ।
यह पत्र लेकर शहरी विकास मंत्री श्री मदन कौशिक ऋषिकेश के एम्स अस्पताल में स्वामिश्रीः से मिलकर उनके हाथ में दिया और स्वामिश्रीः के अपेक्षानुसार फैसले को क्रियान्वित कराने एवं स्वयं पूर्णागिरि देवी के पूजा और छप्पन भोग कार्यक्रम में सम्मिलित होने का आश्वासन देते हुए स्वामिश्रीः से अनशन समाप्त करने का निवेदन किया और जूते निकालकर, पवित्र होकर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज का दिया हुआ चरणोदक पिलाकर स्वामिश्रीः का अनशन-तपस्या समाप्त कराया । मंत्री महोदय ने स्वामिश्रीः से निवेदन किया कि दो चार दिन हरिद्वार ऋषिकेश में रहकर स्वास्थ्य लाभ करें उसके बाद स्वयं जोशीमठ में व्यवस्था बनाकर साथ में जोशीमठ चल कर पूर्णागिरी देवी की पूजा अर्चना एवं छप्पनभोग लगवाकर फैसले की क्रियान्वयन एवं बन्द पडे मठ-मन्दिर की व्यवस्था सुधारने का शुभारम्भ करेंगे ।
ध्यातव्य है कि उक्त मठ एवं मन्दिर के सम्बन्ध में स्वामी वासुदेवानन्द जी एवं जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के मध्य लम्बे समय से न्यायालय में विवाद चल रहा था जिसका निर्णय विगत आठ फरवरी 2017 को बोर्ड आफ रेवेन्यू उत्तराखंड द्वारा दे दिया गया था । बोर्ड आफ रेवेन्यू राजस्व मामलों की सर्वोच्च न्यायालय है और उसके निर्णय के विरुद्ध कोई अपील नहीं होती ।
सनातन धर्मियों में प्रसन्नता की लहर — 

उत्तराखंड सरकार के उक्त पहल से देश के सनातन धर्मी साधु-सन्त एवं श्रद्धालुओं में प्रसन्नता की लहर दौड गई और देश के कोने-कोने से लोगों ने खबर सुनते ही उत्तराखंड सरकार को साधुवाद दिया और यह आशा व्यक्त किया कि उत्तराखंड सरकार ने फैसले को क्रियान्वित करने का जो संकल्प व्यक्त किया है उसपर शीघ्रातिशीघ्र पूर्ण करेगी साथ ही यह भी कहा कि यदि प्रशासन या उत्तराखंड सरकार अपने संकल्प को पूर्ण करने में विलम्ब या हीलाहवाली करती है तो सन्तजन पुनः बृहत् आन्दोलन छेड देंगे ।

अनशन तपस्या की सम्पन्नता घोषित होने के अवसर पर स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती जी, ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानन्द जी, ब्रह्मचारी मुरारी स्वरूप जी, देवी पूर्णाम्बा जी, देवी शारदाम्बा जी, ब्रह्मचारी पूर्णानन्द जी, ब्रह्मचारी आनन्द जी, रमेश उपाध्याय जी, अभयशंकर तिवारी जी, सुशीला भण्डारी जी, ब्रह्मचारी शिवप्रियानन्द जी, आदि सैकडों जन उपस्थित रहे ।