सार्वजनिक स्थलोंपर पृथक से टॉयलेट सुविधाएं नहीं होने से महिलाओंको उठानी पड रही शर्मिंदगी – कब मिलेगा महिलांओ को Right To Pee के समस्या से निजात

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चांदूर रेलवे – (शहेजाद खान)

सरकार भले ही स्वच्छ भारत मिशन को पूरी तरह से सफल होने का दावा कर घर-घर में शौचालय निर्माण के लिए लोगों को प्रोत्साहन राशि देकर लाभान्वित कर जागरूक किया जा रहा हों, लेकिन चांदुर रेलवे शहर में सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं के लिए पृथक से टॉयलेट सुविधाएं नहीं होने से बाजार में आने वाली महिलाओं को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है। शहर के साथ साथ तहसिल की बढती आबादी को देखते हुऐ महिलाओ के इस मुख्य समस्या के बारे में सभी जन प्रतिनिधी चुप्पी साधे रहते है ।

    आज महिलाओ को भारत के संविधान ने सभी हक्क देकर पुरूष प्रधान व्यवस्था के साथ लाकर खडा ही नही किया बल्की सभी प्रशासकीय कार्यालय में छोटे से लेकर बडे पदोपर महिलाओ अपने पढाई के जोर पर अधिकार जमाया है। जैसे की प्रधान सचिव,जिल्हा अधिकारी, पोलिस अधिकारी तक हि सिमीत न रहकर देश के राजनितिक पदो पर भी अपनी पैठ जमाई बैठी है। लोकसभा,राज्यसभा, विधानसभा, विधानपरीषद, मंञी, मुख्यमंत्री जैसे कई बडे पदो पर इस देश में महिलाएं विराजमान है। फिर भी आज महिलाओ की इस मुख्य (Right To Pee) समस्या को कभी किसी ने गंभीरता नही लिया है। सुनने में ये छोटी सी समस्या लगे लेकिन ये है एक बड़ी समस्या क्योंकि पेशाब रोकने से महिलाओं को कई तरह की बीमारियां भी होती हैं । इस वजह से आज महिलाओ में पेट की बिमारी, किडनी, लिवर की बिमारीया बडे पैमाने पर निर्माण होने के संकेत डाॅक्टर असोसिएशन की और से दिये जा रहे है.

तहसिल के सभी प्रमुख प्रशासकीय कार्यालय में महिला राज-:

आज चांदूर रेलवे तहसिल में उपविभागीय अधिकारी, पंचायत समिती बिडीओ, नायब तहसीलदार, सहाय्यक ठाणेदार, न्यायालय कर्मचारी, ग्रामसेवक, पटवारी तथा सभी शासकीय महिला कर्मचारी का राज है।

 तहसिल तथा शहर में महिला राजनेता का वर्चस्व-:

       चांदूर रेलवे तहसिल में 3 जिल्हा परिषद के सर्कल है। उनमें से 2 महिला जिल्हा परिषद सदस्या है, तो पंचायत समिती की सभापती, उपसभापती भी महिला है। साथ ही साथ चांदूर रेलवे नगर परिषद में 9 महिला नगरसेविका है,। फिर भी महिला सार्वजनिक शौचालय (टॉयलेट) के मुख्य समस्या को किसी स्तर से न्याय नही मिल रहा है। तहसिल की महिला समाजसेवी संस्था भी इस और ध्यान देकर कोई आंदोलनात्मक भूमिका नही ले रही है। यह एक महिलाओ के लिए ऐसी समस्या है की न किसी के पास खुलकर बोली जाती है। शहर या तहसिल में आनेवाली देहाती महिला या नोकरदार महिलाओ के लिए सार्वजनिक स्तर शौचालय आज तक किसी ने मुवैय्या नही कराया यह भी अपने आप में खेदजनक बात है।

शहर के शासकीय कार्यालय में छाया गंदगी का साम्राज्य-:        

शासकीय कार्यालय में आने वाली महिलाओ को इस मुख्य समस्या का बडे पैमाने पर सामना करना पडता है। चांदूर रेलवे उपविभागीय तथा तहसिल कार्यालय में बने शौचालय में गंदगी का साम्राज्य छाया है। किसी भी तरह की साफ सफाई यहां नजर नही आती। बने शौचालय में जाने का मन नही करता तो शौचालय के दरवाजे टुटे-फुटे पडे है, तो कई कार्यालय में सार्वजनिक शौचालय ही नही है। इसिलिए आज यह समस्या महिलाओ के लिए भस्मासूर बन रही है।