“सन्त का स्वार्थ : मनुष्यमात्र को भगवानसे जोड़ना” – जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज

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स्थान -; राउलकेला प्रदेश ओडिशा :-

ज्योतिष एवं शारदा द्वारका पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज कल पूर्वाह्न राउरकेला महानगर पधारे। भारी संख्या में श्रद्धालु जनता ने रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर ढोल नगाड़े के साथ महाराजश्री का स्वागत किया। सायंकाल सत्संग-प्रवचन में महाराजश्री ने श्रीरामचरित मानस की चौपाई “सुर नर मुनि सब कर यह रीती। स्वारथ लागि करहिं सब प्रीती।।” उद्धृत करते हुए कहा कि संत का भी स्वार्थ होता है। किन्तु उसका स्वार्थ मानवमात्र का कल्याण करने का होता है। सन्त विचरण भ्रमण करते हैं प्राणिमात्र के कल्याण के लिए। सन्त मनुष्यों को भगवान से जोड़ते हैं। भगवान से जुड़ने पर मनुष्यके सभी कष्ट स्वतः मिट जाते हैं। आध्यात्मिक उन्नति होने के साथ भौतिक उन्नति भी स्वतः होती है।

अयोध्या में राम मंदिर के सम्बन्ध में शङ्कराचार्य जी ने कहा कि मंदिर बनवाने के नाम पर कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं और वास्तव में मन्दिर बनवाने का प्रयास करने में पहले भी बाधा डालते रहे हैं। महाराजश्री ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट में अभी यह प्रकरण लम्बित है जिसकी सुनवाई 13 मार्च से आरम्भ होगी। उसमें हम रामजन्मभूमि पुनरुद्धार समिति के रूप में पक्षकार हैं और पैरवी कर रहे हैं। महाराजजी ने कहा कि हमने हाईकोर्ट में सिद्ध कर दिया कि विवादित स्थल रामजन्मभूमि ही है। अभी सुप्रीमकोर्टने हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे दे रखा है अतः कोई भी निर्माण नहीं हो सकता। किन्तु कुछ लोग जो मुकदमे में पक्षकार भी नहीं हैं, मन्दिर बनवाने का जोर शोर से प्रचार कर जनता को भ्रमित करते हैं। शङ्कराचार्य जी ने कहा कि फैसला होने पर मन्दिर बनवाया जायेगा और राम जन्मभूमि पर ही बनवाया जायेगा, अन्यत्र नहीं।

शङ्कराचार्य जी ने उपस्थित जनता को झारखण्ड और ओडिसा के आदिवासियों के कल्याण हेतु अपने द्वारा चलाई जा रही योजनाओं – अन्नक्षेत्र, चिकित्सालय, धर्मपरिवर्तन से रोकना और धार्मिक शुद्धि इत्यादि से भी अवगत कराया।

शङ्कराचार्यजी के आशीर्वचन से पूर्व उनके निजी सचिव ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द जी ने आदि शङ्कराचार्य के जीवनवृत्त पर प्रकाश डालते हुए उनकी दीक्षास्थली गोविंदवन में भव्य मन्दिर के शिलान्यास की सूचना दिया।