महाराष्ट्र की एक अदालत ने रिश्वत लेने के जुर्म में पीडब्ल्यूडी के एक इंजीनियर को 10 साल कैद की सजा सुनाई है. उस पर 85 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट ने कहा कि अगर भ्रष्टाचार के दोषी इंजीनियर ने जुर्माना नहीं भरा तो उसके बदले उसे चार साल और जेल में गुजारने होंगे.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक यह मामला चार मई, 2016 का है. श्रीरामपुर पंचायत समिति से जुड़े पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर अशोक केशवराव मुंडे पर एक ठेकेदार से डेढ़ लाख रुपये की रिश्वत का आरोप था. एंटी करप्शन ब्रांच के उप-अधीक्षक विष्णु तम्हाणे ने बताया कि एक चेक जारी करने के बदले अशोक ने पांच प्रतिशत कमीशन की मांग की थी. तय हुआ कि रिश्वत की रकम अहमदनगर जिला परिषद के गेस्ट हाउस में दी जाएगी.
अशोक जब वहां पहुंचा तो उसे रंगे हाथ पकड़ लिया गया. बाद में उसके खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम (पीएसी) के तहत मामला दर्ज किया गया. जांच पूरी होने के बाद सितंबर 2016 में चार्जशीट दायर की गई जिसके बाद बीते शुक्रवार को अहमदनगर सेशन जज एसयू बाघेले ने उसे 10 साल के कठोर कारावास और 85 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने बताया कि पीएसी के तहत किसी विशेष अदालत द्वारा लगाया गया यह अब तक का सबसे भारी जुर्माना है