योग दिवस :- मंदिर बचाने को समर्पित रहा कार्यक्रम >< विश्वगुरु बनना है तो हृदय से विश्व को अपनाना होगा :- स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्द जी

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हमारा भारतीय दर्शन हमें यह सिखाता है कि सबमें उस परमात्मा को देखो। जब सबमें उस परमात्मा को देखोगे तो किससे द्वेष करोगे, किससे घृणा करोगे ? सबमें वही दिखेगा। गीता भी कहती है कि वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः। जब ऐसा विचार मन में उदित हो जाएगा तो सब एक हो जाएंगे और सारा विरोधी विचार समाप्त हो जाएगा।

उक्त बातें स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज ने आज शंकराचार्य घाट पर आयोजित मन्दिर बचाओ योग व एकप्रहरीय सांकेतिक उपवास कार्यक्रम के समय कहीं।

उन्होंने कहा कि आज व्यक्ति के हृदय में स्थित भगवान् और मन्दिर में स्थापित भगवान् दोनों को ही हम नहीं समझ पा रहे क्योंकि हमने अपने को प्रदेश भाषा रंग आदि के कारण समूहों में बाॅट लिया है। पर हमें इससे ऊपर उठना होगा।

उन्होंने आगे कहा कि हम विश्व गुरु बनना चाहते हैं पर विश्व गुरु बनने के लिए हमें विश्व को अपनाना पडेगा। हमारे यहाॅ जब दीक्षा होती है तो गुरु अपने शिष्य को हृदय से लगाता है और यहाँ तक कहा गया है कि सच्चा गुरु शिष्य नहीं बनाता वह तो उसे अपने ही जैसा गुरु बना देता है।

उन्होंने जोड़ा कि आजकल नास्तिकता बढती ही जा रही है । लोग विकास के नाम पर मन्दिरों और मूर्तियों को भी तोडने से संकोच नहीं कर रहे और ये सब पाकिस्तान या अन्य किसी ऐसे देश में नही हो रहा जहाँ विधर्मी रहते हैं अपितु यह भारत जैसे आध्यात्मिक देश में काशी जैसी पवित्र नगरी में हो रहा जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता ।

स्वामिश्रीः ने सरकार की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक ओर तो सरकार स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहती है और दूसरी ओर मन्दिर में व्यवस्था करने के लिए काशी विश्वनाथ जैसे मन्दिर का अधिग्रहण करती है। जब आप धर्मनिरपेक्ष हो तो मन्दिर की व्यवस्था क्यों करते हो ? यदि मन्दिरों की व्यवस्था ही आपको करनी है तो काशी और पूरे देश में ऐसे अनेक मन्दिर हैं जहाँ पर सच में व्यवस्था की आवश्यकता है पर आप वहाँ तो कोई व्यवस्था नहीं करते पर यहाँ विश्वनाथ मन्दिर में आमदनी अधिक है इसलिए यहाँ पर व्यवस्था करने की होड़ लगी है ।

प्रसिद्ध योग गुरु श्री राजकुमार वाजपेयी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मन्दिरों को तोडना किसी भी हालत में सहन नहीं किया जा सकता । सनातन धर्म पर हमला वह भी काशी जैसे पवित्र क्षेत्र में हो रहा है इससे बडा अनर्थ और नहीं हो सकता। यदि कुछ बना नही सकते तो बिगाड़ने का भी हक नहीं है।

अधिवक्ता पं रमेश उपाध्याय जी ने योग और मन्दिर को जोडते हुए कहा कि जिस प्रकार योग से आत्मा शुद्ध होती है वैसे ही मन्दिर जाकर सनातनी हिन्दू भी स्वयं को शुद्ध और पवित्र होने का अनुभव करता है।

काशी विदुषी परिषद् की महामन्त्री श्रीमती सावित्री पाण्डेय जी ने कहा कि काशी में अनेक सन्त हैं पर अकेले स्वामिश्रीः ही मन्दिर बचाने को आगे आए हैं। ऐसे ही महात्माओं के कारण आज धरती टिकी हुई है। हम सबको इनका अनुकरण करना चाहिए।

श्री यतीन्द्र नाथ चतुर्वेदी जी ने कहा कि जो लोग मन्दिर बनाने के नाम पर ही अस्तित्व में आए वे आज काशी के पौराणिक मन्दिरों को तुडवा रहे हैं यह इस देश की विडम्बना है।

इस अवसर पर सौ स्वाती जी ने भगवान् शंकर काशी व गंगा पर अनेक सुमधुर भजन प्रस्तुत किए।

श्री रंजन शर्मा जी के नेतृत्व में शंकराचार्य घाट पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। सभी ने एक स्वर से राष्ट्र गान व राष्ट्र नदी गंगा गान प्रस्तुत किया।

प्रमुख रूप से साध्वी शारदाम्बा जी साध्वी पूर्णाम्बा जी श्री राजकुमार शर्मा जी श्री रवि त्रिवेदी जी श्री सुदीप्तो चटर्जी जी श्रीमती रागिनी पाण्डेय जी श्रीमती विजय तिवारी जी श्री विजय शर्मा जी श्री हरिश्चन्द्र शर्मा जी श्री राजेश तिवारी जी श्री अमित तिवारी जी श्री ब्रह्मबाला शर्मा जी श्रीमती माधुरी पाण्डेय जी श्री शैलेष तिवारी जी श्री मयंकशेखर मिश्र जी श्री कृष्ण पाराशर जी आदि जन उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक मंगलाचरण से हुआ। बटुकों ने मिलकर मन्दिर बचाने हेतु योग किया। धन्यवाद ज्ञापन सुरेश जी ने किया।