वाराणसी :-
काशी में स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी की अध्यक्षता में आज नवंबर २५ को परमधर्मसंसद १००८ की पहली संसद का सफलतापूर्ण आयोजन किया गया । प्रथम दिन देश भर में तोड़े जा रहे मंदिरो एवं गंगा को समर्पित रहा जिसमे देश भर से आये हुए सनातनी प्रतिनिधियों ने सभी विषयो पर अपनी राय रखी और बर्तमान समय में प्रदेश एवं देश में धार्मिक सरकारों के होते हुए इनकी दुर्दशा पर दुःख जताया और सरकार को इस विफलता पर देश की जनता के प्रति उनकी प्रतिबद्धतता के प्रति आगाह किया है। मुख्य रूप से काशी में विकास के नाम पर मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ा जाना संतो के लिए काफी पीड़ादायक है।
ज्ञात हो वाराणसी में 25 नवंबर से 27 नवंबर से चलने वाली धर्म संसद का उद्घाटन शनिवार को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने किया। आयोजन में ३ दिनों तक चलने वाले इस धर्म संसद में चारों पीठों के शंकराचार्य के प्रतिनिधि, 543 संसदीय क्षेत्रों के प्रतिनिधि, देश और विदेश के साधु-संत समेत संसद में प्रतिनिधित्व कर रहे 36 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है. जिनके द्वारा परस्परविचार बिमर्श कर बिभिन्न विषयो पर चर्चा के साथ प्रमुख विषयो को रेखांकित कर धर्मादेश दिया जायेगा। तीनदिवसीय यह सनातन वैदिक हिंदू परम धर्म संसद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य प्रतिनिधि और धर्मसंसद के संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंनद के सानिध्य में काशी के सीरगोवर्धन गांव में हो रहा है।