भीमचण्डी देवी मन्दिर परिसर की मर्यादा बिगड़ने नहीं देंगे :- स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती

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काशी में मन्दिरों की मर्यादा को बिगाड़ने के प्रयास तेज होते दिखाई दे रहे हैं । विश्वनाथ कोरिडोर के नाम पर अनेक मन्दिरों और उनमें विराजित मूर्तियों को गायब,क्षतिग्रस्त और अपमानित करने का वाकया अभी सुलझा भी नहीं था कि काशी की पंचक्रोशी परिक्रमा के दूसरे पड़ाव के मुख्य मन्दिर देवी भीमचण्डी के परिसर की मर्यादा बिगाड़ने के प्रयास आरम्भ हो गये हैं ।
इसके लिये परिसर में ही देवी जी के ठीक सामने कोलकाता के किसी ट्रस्ट (जिसका अध्यक्ष मुस्लिम बताया जाता है) की आड़ में शौचालय बनाने का काम तेजी पर है ।

ज्ञातव्य है कि शास्त्र नियमानुसार परिक्रमा करने वाले को पंचक्रोशी मार्ग के दाहिनी ओर शौच,कुल्ला, जूठन गिराने यहाँ तक कि थूकने आदि का भी निषेध है । यही कारण है कि सभी धर्मशालायें भी बायीं ओर हैं ।
मन्दिर के कुछ पुजारियों के अनुरोध पर स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ने कल भीमचण्डी जाकर वस्तुस्थिति का अवलोकन किया ।
और मन्दिर की मर्यादा को बिगाड़ने के प्रयासों को किसी भी दशा में सफल नहीं होने देने का उद्घोष किया है ।

कल दिनाँक 4 अप्रैल 2019 को स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती जी महाराज पंचकोशी परिक्रमा के अन्तर्गत आने वाले काशी खण्ड के मन्दिर भीमचण्डी माता के यहाँ दर्शन करने पहुँचे। स्वामिश्री के साथ उनके अनेक भक्त भी पहुँचे थें। वहाँ स्वामिश्री ने माता का विधिवत पूजा किया और प्रसाद वितरण भी कराया।
तभी मन्दिर के एक पुजारी ने स्वामिश्री को सूचित किया कि मन्दिर के प्रांगण में ही माता के ठीक सामने किसी कलकत्ता के संगठन द्वारा पैसे लेकर कुछ लोग शौचालय निर्माण कर रहे हैं। इस तरह की सूचना मिलते ही स्वामिश्री ने जाकर देखा तो सच मे यह सत्यापित हो गया कि वहाँ शौचालय ही बनाया जा रहा था। स्वामिश्री ने जब इस बात का विरोध किया कि मन्दिर प्रांगण में देवी के ठीक सामने किस अधिकार से शौचालय बनाया जा रहा है? स्वामिश्री तक सच्चाई आ जाने पर वहाँ जो लोग शौचालय बनवाने में संलिप्त थें वो झूठ बोलने लगे कि यहाँ शौचालय नही अपितु भोजनालय बन रहा है पर वहाँ पर बने भवन के नीव और ढांचे को देखकर यह स्पष्ट हो गया था कि वहाँ शौचालय ही बन रहा था और अंत मे उन लोगों ने माना भी। स्वामिश्री ने स्पष्ट कहा कि यह पौराणिक मन्दिर सम्पूर्ण हिन्दू समाज का है यह चन्द लोगों की संपत्ति नही है अतः शास्त्रीय मर्यादा के विरुद्ध यहाँ कोई भी गतिविधि की गई तो हिन्दू समाज इसे ठीक करते एक क्षण भी नही लगाएगा।
ज्ञात हो कि यह विवाद वहाँ के पुजारियों के मध्य है जो अपने को उस मन्दिर का दावेदार बताते हैं पर स्वामिश्री ने कहा कि आप लोगों को यहाँ पूजा करने के लिए रखा गया था पर आप इसपर अपना मालिकाना हक समझ बैठे जो कि अधर्म है।
इस प्रकार से स्वामिश्री ने सभी पक्षों को सुनकर यह निर्णय दिया कि मन्दिर के प्रांगण में शौचालय या भोजनालय कुछ भी नही बनेगा और जो ढाँचा बन गया है उसे तोड़ने के बजाय वहाँ गाय बांध दिया जाय क्योंकि गाय स्वयं साक्षात देवी माता है। स्वामिश्री के बातों को सभी पक्षों ने मानने की स्वीकृति दी इस प्रकार देवी दर्शन और मन्दिर के विवाद को सुलझाने के पश्चात स्वामिश्री: शिष्यों एवं भक्तों संघ वापस श्रीविद्यामठ आये।