काशीवासी बेहोशी की हालत में हैं – जब तक बेहोशी हटेगी तब तक तो बहुत मूल्यवान धरोहरों को खो चुके होंगे :-स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः

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Varanasi :-

न कोई किसी का मित्र है और न कोई किसी का शत्रु । व्यवहार से ही शत्रु और मित्र निर्धारित होते है । जब हम पैदा होते हैं तब न तो हमारा कोई मित्र होता है और न ही कोई शत्रु पर धीरे धीरे व्यवहार ऐसा होता जाता है कि हम किसी के उत्कर्ष की कामना करते हैं तो किसी के पराभव की ।

उक्त बातें स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज ने लोकतन्त्र बचाओ यात्रा के क्रम में मध्यमेश्वर में व्यक्त किए ।

उन्होंने कहा कि आज की सभा में जिन महोदय की आप सभी चर्चा कर रहे हैं उनसे हमारा कोई निजी बैर नहीं है । पर उनसे हम सबने बहुत आशा कर ली थी । 2014 के बाद से हमने इतनी बडी आशा पाल ली थी कि यह हिन्दू हमारे सारे घावों को भर देगा । पर इसने हिन्दू होकर के इतना बडा घाव दिया कि हम औरंगजेब को स्मरण करने लगे हैं ।

उन्होंने आगे कहा कि यदि हमारे आस्था के प्रतीक स्थान ही नहीं रहेंगे तो हमारा गौरव हमारा आत्मसम्मान कहाँ रह पाएगा ? आप सभी लोग साक्षी हैं काशीवासी हैं सब देख पा रहे हैं पर कोई बोलने की हिम्मत आज नहीं कर रहा । ऐसी परिस्थिति की कल्पना किसी ने नहीं की थी कि काशी जैसी धर्मनगरी में भी कभी ऐसा होगा ।

इस अवसर पर श्रीभगवान् जी ब्रह्मचारी वैराग्य स्वरूप जी दण्डीनाथ धर्मदत्त जी साध्वी पूर्णाम्बा जी भारत धर्म महामण्डल के न्यासी श्रीप्रकाश पाण्डेय जी ब्रह्मचारी केशवानन्द जी महावीर नमकीन के श्री किशन जायसवाल जी जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता श्री देवेन्द्र पाठक जी कृत्तिवासेश्वर मन्दिर के न्यासी श्री मदन मोहन देववंशी जी महामृत्युंजय मन्दिर के महन्थ कामेश्वर दीक्षित जी गंगा औषधि केन्द्र के निदेशक श्री रवि त्रिवेदी जी श्री प्रेम जायसवाल जी श्री श्याम जायसवाल जी श्री राम जायसवाल जी स्वामी तारिभुवनदास जी आदि ने अपने विचार प्रस्तुत किए ।

प्रमुख रूप मध्यमेश्वर क्षेत्र के विशिष्ट जन उपस्थित रहे ।

*रामराज्य परिषद् कर रही नोटा पर विचार*

स्वामिश्रीः ने गठबन्धन की प्रत्याशी शालिनी जी और कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय दोनों को ही यह कहा था कि यदि काशी से मन्दिर तोडवा को हराने के लिए एक हो जाएँ तो काशी की रक्षा हो सकती है पर दोनों की ओर से ही कोई उत्तर नहीं आया और उत्तर आने की कोई आशा भी नहीं है । ऐसे में अगले दो दिनों तक इस बात पर विचार होगा कि काशी में रामराज्य के समर्थक किस ओर जाएँ । क्योंकि रामराज्य यह मानती है कि अधर्मी और पापी का समर्थन देने पर पाप लगता है ।