भारत तभी सही अर्थों में भारत बनेगा जब देश के लोग एक कैलेण्डर से अपना जीवन यापन करेंगें :- स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी

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यह विडम्बना है कि आज भारत में दो तरह के कैलेण्डर चल रहे हैं । जब हमको राम नवमी, जन्माष्टमी और शिवरात्रि मनाना होता है तो हम भारतीय पंचांग के अनुसार मनाते हैं और जब स्वतन्त्रता दिवस और गणतन्त्र दिवस मनाना होता है तो हम अंग्रेजी कैलेण्डर का उपयोग करते हैं । आज जब भारत में एक देश एक टेक्स, एक देश एक संविधान की बात चल रही है तो फिर एक देश एक कैलेण्डर क्यों नहीं चल सकता ? भारत तभी सही अर्थों में भारत बनेगा जब देश के लोग एक कैलेण्डर से अपना जीवन यापन करेंगें ।

उक्त बातें स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज ने आज काशी के केदार क्षेत्र में स्थित शंकराचार्य घाट पर आयोजित *गणतन्त्र तिथि महोत्सव* के अवसर पर कही

स्वामिश्रीः ने आगे कहा कि हमारे राष्ट् ध्वज में जो अशोक चक्र है उसके सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि वह सम्राट् अशोक से प्राप्त हुआ है पर यह भी विचारणीय है कि सम्राट् अशोक के पास वह चक्र कैसे आया ? कहना होगा कि भगवान् विष्णु के हाथ में जो सुदर्शन चक्र है वही सुदर्शन चक्र सम्राट् अशोक ने लिया जिसको भारत के तिरंगे में स्थान मिला ।

राष्ट्र के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि यदि हम महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता मान लें तो पिता तो वह होता है जो जन्म दे । इस अनुसार यदि 1947 को भारत का जन्म माना जाएगा तो क्या उससे पहले भारत राष्ट्र नहीं था ? यदि नहीं था तो फिर मंगल पाण्डेय, भगत सिंह आदि हमारे पूर्वजों ने किस राष्ट्र के लिए संघर्ष किया? इसलिए यह कहना कि महात्मा गाँधी राष्ट्रपिता हैं यह अनुचित है । कोई व्यक्ति राष्ट् पुत्र तो हो सकता है पर राष्ट्र पिता नहीं हो सकता ।

आगे कहा कि आज भी भारत में भारतीय तिथि के पंचांग की अनेक॔ प्रतियाँ प्रकाशित होती हैं पर जब राष्ट्रीय पर्व मनाने का अवसर आता है तो सरकारें भी तिथियों की अनदेखी कर ग्रेगेरियन कैलेण्डर के अनुसार ही राष्ट्रीय पर्व मनाती हैं जो कि संविधान के विपरीत है । भारत के लोगों को मिलकर इस ओर सरकार और जनता दोनों का ध्यान आकृष्ट करना चाहिए ।

इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती न्याय वेदान्त महाविद्यालय एवं शोध समिति के बटुकों ने श्री रंजन शर्मा जी के नेतृत्व में पथ संचलन किया ।

प्रमुख रूप से अनिल शुक्ल, रवि त्रिवेदी, साध्वी शारदाम्बा, साध्वी पूर्णाम्बा, सुनील शुक्ल, विशाल मेहता, सुनील उपाध्याय, रमेश उपाध्याय, विजय शर्मा म, ओमप्रकाश पाण्डेय, रवीन्द्र मिश्र, सदानन्द तिवारी, रीना सिंह, विजया तिवारी, दीपक केसरी आदि जन उपस्थित रहे ।

जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज के चित्र के पूजन से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ । संचालन ब्रह्मचारी मुकुन्दानन्द जी ने किया ।