*हिन्दुओ, ‘कोजागरी पूर्णिमा’* *केवल मनोरंजन के लिए नहीं,* *कृष्णभक्ति में डूबने के लिए मनाएं !*

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पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चंद्र पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होता है एवं इसीलिए बडा दिखाई देता है । मूल चंद्रतत्त्व का अर्थात चंद्रमा’ का प्रतिनिधित्व करनेवाला एवं हमें दिखाई देनेवाला चंद्र चंद्रमा’ समान ही शीतल एवं आह्लाददायक है । ईश्‍वर के अवतारों से साधकों को चंद्र समान शीतलता का अनुभव हो सकता है, इसीलिए रामचंद्र, कृष्णचंद्र जैसे भी नाम राम-कृष्ण को दिए गए । चंद्र के इन गुणों के कारण ही नक्षत्राणामहं शशी’ अर्थात नक्षत्रों में मैं चंद्र हूं’, ऐसा भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में (अध्याय १०, श्‍लोक २१) कहा है ।
मध्यरात्रि को लक्ष्मी चंद्रमंडल से भूतलपर आकर पूछती हैं – को जागर्ति’ अर्थात कौन जाग रहा है ?’, और जो जग रहा हो उसे
अन्न-धन से संतुष्ट करती हैं ।