वैशाख 2018 – वैसाख मास के व्रत व त्यौहार

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वैशाख भारतीय पंचांग के अनुसार वर्ष का दूसरा माह है। चैत्र पूर्णिमा के बाद आने वाली प्रतिपदा से वैसाख मास का आरंभ होता है। धार्मिक और सांस्कृतिक तौर पर वैशाख महीने का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। वैशाख मास में धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नानादि का भी महत्व माना जाता है। वैशाख मास का महत्व इसलिये भी माना जाता है क्योंकि इसी मास में भगवान विष्णु के अवतार जिनमें नर-नारायण, भगवान परशुराम, नृसिंह अवतार और ह्यग्रीव आदि अवतार अवतरित हुए थे। मान्यता है कि देवी सीता भी इसी मास में धरती माता की कोख से प्रकट हुई थी।

वैशाख मास का नामकरण

हिंदू पंचांग में चंद्रमास के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं। जिस मास की पूर्णिमा जिस नक्षत्र में होती है उसी के अनुसार माह का नाम पड़ा है। वैशाख मास की पूर्णिमा विशाखा नक्षत्र में होने के कारण इस मास का नाम वैशाख पड़ा। वर्ष 2018 में वैशाख मास की शुरुआत 1 अप्रैल से होगी, 30 अप्रैल को वैशाख पूर्णिमा के साथ ही वैशाक माह का समापन होगा।

वैशाख मास के व्रत व त्यौहार

ईस्टर – ईसा मसीह के पुन: जीवित हो उठने की खुशी में ईस्टर का त्यौहार गुड फ्राइडे के बाद आने वाले रविवार को मनाया जाता है। गुड फ्राइडे 30 मार्च को मनाया जा रहा है। इसके पश्चात रविवार का दिन 1 अप्रैल को है। इस कारण ईस्टर इस बार 1 अप्रैल को मनाया जा रहा है।

वरुथिनी एकादशी – वैसाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। वरुथिनी एकादशी का व्रत 12 अप्रैल को मंगलवार के दिन है।

मेष संक्रांति और बैसाखी या वैशाखी

वैसाख मास के लगते ही जब सूर्य मेष राशि में आते हैं तब मेष संक्रांति मानी जाती है। इसी संक्रांति के दिन वैशाखी का त्यौहार भी मनाया जाता है जो कि हर्षोल्लास के साथ उत्तर भारत विशेषकर पंजाब व हरियाणा में मनाया जाता है। यह त्यौहार अक्सर 13 अप्रैल को मनाया जाता है लेकिन चूंकि संक्रांति 14 अप्रैल को हो रही है इस कारण यह पर्व 14 अप्रैल को भी मनाया जा रहा है।

वैसाख अमावस्या – अमावस्या को स्नान दान व तर्पण के लिये बहुत ही शुभ माना जाता है। वैशाख अमावस्या 16 अप्रैल को है। इस दिन सोमवार होने से यह सोमवती अमावस्या भी है जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
अक्षय तृतीया – वैसाख मास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व अक्षय तृतीया का ही माना जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहा जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण ने अवतार लिया था। भगवान विष्णु के ही अन्य अवतार भगवान परशुराम की जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है। इस कारण यह बहुत ही सौभाग्यशाली दिन माना जाता है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करने के लिये बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। अक्षय तृतीया अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 18 अप्रैल को है।

सीता नवमी – वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी मनायी जाती है। मान्यता है कि इस दिन माता सीता धरती मां की कोख से प्रकट हुई थी जो हल जोतते समय मिथिला नरेश जनक को मिली थी और जनकपुत्री के रूप में जानी गई। माता सीता को मां लक्ष्मी का ही अवतार माना जाता है जिन्होंने भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री राम के लिये अवतार धारण किया। सीता नवमी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 24 अप्रैल को मनाई जा रही है।

मोहिनी एकादशी – वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। मोहिनी एकादशी का उपवास भी बहुत खास माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा उपासना व व्रत आदि का विधान है। मोहिनी एकादशी 26 अप्रैल को है।

वैशाख पूर्णिमा – पूर्णिमा चंद्र मास का अंतिम दिन माना जाता है। पूर्णिमा को उपवास रखने का विधान भी माना जाता है। वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। वैशाख मास की पूर्णिमा 30 अप्रैल को है।